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निरंजन  
शब्दभेद/रूपभेद
व्युत्पत्ति
शब्दार्थ एवं प्रयोग
वि.
सं.
1.दुनिया से अलग, माया से निर्लिप्त (ईश्वर का एक विशेषण)
  • उदा.--1..नमौ सच्चिदानंद भक्तवत्सळ भयहरता, सास्वत असरण-सरण करणकारण जगकरता। निराकार निरलेप निगम निरदोस निरंजन, दीरघ दीनदयाळु देव दुख-दाळद भंजन।--ऊ.का.
  • उदा.--2..परमारथ को राखियै, कीजै पर-उपकार। दादू सेवक सो भला, निरंजन निराकार।--दादूबांणी
2.दोष-रहित, निष्कलंक, पवित्र।
  • उदा.--सेवै तुझ पांव सदा मद सक्ख, इळा पग छांह मयंक अरक्क। सेवै तो पांव समुंदर सात, निरंजन पांव नमौ निरगात।--ह.र.
1.ईश्वर, परमात्मा।
  • उदा.--1..खूबी रही न काय, खतंगां खंजनां। नेही व्है मुनिराज, विसारि निरंजना।--बां.दा.
  • उदा.--2..दादू पखापखी संसार सब, निरपख विरला कोय। सोई निरपख होइगा, जाकै नांम निरंजन होय।--दादूबांणी
  • उदा.--3..प्रथम जळजळाकार हुतौ। तिहां निरंजन निराकार वडपात मांहि पौढ़िया हुता।--द.वि.
2.शिव, महोदव, शंकर।
  • उदा.--जोग नींद बस भये निरंजन। गज्जो असुर पितामह गंजन।--मे.म.
3.विष्णु (डिं.को.)
रू.भे.
नरंजण, निरंजण।
सं.पु.--


नोट: पद्मश्री डॉ. सीताराम लालस संकलित वृहत राजस्थानी सबदकोश मे आपका स्वागत है। सागर-मंथन जैसे इस विशाल कार्य मे कंप्युटर द्वारा ऑटोमैशन के फलस्वरूप आई गलतियों को सुधारने के क्रम मे आपका अमूल्य सहयोग होगा कि यदि आपको कोई शब्द विशेष नहीं मिले अथवा उनके अर्थ गलत मिलें या अनैक अर्थ आपस मे जुड़े हुए मिलें तो कृपया admin@charans.org पर ईमेल द्वारा सूचित करें। हार्दिक आभार।






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