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निहाळ, निहाल  
शब्दभेद/रूपभेद
व्युत्पत्ति
शब्दार्थ एवं प्रयोग
वि.
फा.निहाल
1.जो सब प्रकार से सन्तुष्ट हो गया हो, पूर्ण काम।
  • उदा.--1..राजावां री रीज, सुखदाई सारां सुणी। खांवद थारी खीज, जग निहाल करती 'जसा'।--ऊ.का.
  • उदा.--2..सेंवज जिण बरस इण गांव में पाकतौ मिनख निहाल व्है जावता।--रातवासौ
  • उदा.--3..लोहड़ै न मांनै डर लिगार। आपड़ै पड़ै जुध केक वार। मन दिया आवतां रीझ माल। नायता किता कीधा निहाल।--विड़द सिंणगार
  • मुहावरा--1.निहाल करणौ--मालामाल करना, सन्तुष्ट करना।
  • मुहावरा--2.निहाल व्हैणौ--मालामाल होना, पूर्ण सन्तुष्ट होना, किसी प्रकार की कमी वा अभाव न रहना।
2.जो बहुत राजी हो गया हो, प्रसन्न, खुश।
  • उदा.--1..मोर सिखर ऊंचा मिळै, नाचै हुआ निहाल। पिक ठहकै झरणा पड़ै, हरिए डूंगर हाल।--बां.दा.
  • उदा.--2..हळहळियौ महराब खां, आयौ घर 'अजमाल' जतरा मत असुरां जुआ, हिंदू हुवा निहाल ।--रा.रू.
3.कृतकृत्य, कृतार्थ, सफल।
  • उदा.--1..राजभयोग अरोगौ गिरधर, सनमुख राखां थाळ। मीरां दासी सरणां ज्यासी, कीज्यौ बेग निहाल।--मीरां
  • उदा.--2..ए तौ दसरथ जी रा लाल, भला मन भावणा हे। ए तौ कर रह्या नयण निहाल, घणा रळियावणा हे।--गी.रां.
  • उदा.--3..नांम महातम वरण कर, हमकूं किये निहाळ। सुणियौ गुरु हरनाथ सूं, दादू दीनदयाळ।--भगतमाळ
4.देखो 'निहार' (रू.भे.)
रू.भे.
नीयाल, न्याल।
क्रि.प्र.--करणौ, होणौ।
क्रि.प्र.--करणौ, होणौ।


नोट: पद्मश्री डॉ. सीताराम लालस संकलित वृहत राजस्थानी सबदकोश मे आपका स्वागत है। सागर-मंथन जैसे इस विशाल कार्य मे कंप्युटर द्वारा ऑटोमैशन के फलस्वरूप आई गलतियों को सुधारने के क्रम मे आपका अमूल्य सहयोग होगा कि यदि आपको कोई शब्द विशेष नहीं मिले अथवा उनके अर्थ गलत मिलें या अनैक अर्थ आपस मे जुड़े हुए मिलें तो कृपया admin@charans.org पर ईमेल द्वारा सूचित करें। हार्दिक आभार।






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