वि.
सं.
1.जिसका स्थान उत्तम और मध्यम के बाद पड़ता हो, निकृष्ट, बुरा, अधम। (डिं.को.)
2.कर्म, गुण, जाति या और किसी बात में घटकर या न्यून, तुच्छ, हेठा, अधम।
- उदा.--आदि तूझ था ऊपना, जगजीवण सह जीव। ऊच नीच घर अवतरण, दां कइ दोस दईव।--ह.र.
यौ.
ऊंच-नीच। सं.पु.--ओछा आदमी, शूद्र मनुष्य।
- उदा.--1..कायर अधरम कुजस सूं, नीच न डरपै नाह। डरपै परदळ देखियां, रण तज लागै राह।--बां.दा.
- उदा.--2..आथ धरै धर और री, वयण इस्ट दे बीच। आ आछी न करै अठै, न दियै पाछी नीच।--बां.दा.
2.भ्रमण काल के सम्बन्ध में किसी ग्रह के भ्रमण वृत्त का वह स्थान जो पृथ्वी से अधिक निकट हो।
3.फलित ज्योतिष में किसी ग्रह के उच्च स्थान से सातवां स्थान।
5.दशार्ण देश के एक पर्वत का नाम।
7.देखो 'नीचौ' (मह., रू.भे.)