सं.पु.
सं.नैष्ठिक
उपनयन काल से लेकर मृत्यु-पर्यंत ब्रह्मचर्य का पालन करने वाला।
- उदा.--नैस्ठिक ब्रह्मचारी निपुण, भयौ संन्यासी भूर। इकदम आर्या वरत्त कौ, दुख कीनौ सब दूर।--ऊ.का.
विशेष विवरण:-याज्ञवल्क्य स्मृति के अनुसार नैष्ठिक ब्रह्मचारी को यावज्जीवन गुरु के पास या गुरु-आश्रम में ही रहना चाहिए।