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नैस्टिक, नैस्ठिक  
शब्दभेद/रूपभेद
व्युत्पत्ति
शब्दार्थ एवं प्रयोग
सं.पु.
सं.नैष्ठिक
उपनयन काल से लेकर मृत्यु-पर्यंत ब्रह्मचर्य का पालन करने वाला।
  • उदा.--नैस्ठिक ब्रह्मचारी निपुण, भयौ संन्यासी भूर। इकदम आर्‌या वरत्त कौ, दुख कीनौ सब दूर।--ऊ.का.
विशेष विवरण:-याज्ञवल्क्य स्मृति के अनुसार नैष्ठिक ब्रह्मचारी को यावज्जीवन गुरु के पास या गुरु-आश्रम में ही रहना चाहिए।


नोट: पद्मश्री डॉ. सीताराम लालस संकलित वृहत राजस्थानी सबदकोश मे आपका स्वागत है। सागर-मंथन जैसे इस विशाल कार्य मे कंप्युटर द्वारा ऑटोमैशन के फलस्वरूप आई गलतियों को सुधारने के क्रम मे आपका अमूल्य सहयोग होगा कि यदि आपको कोई शब्द विशेष नहीं मिले अथवा उनके अर्थ गलत मिलें या अनैक अर्थ आपस मे जुड़े हुए मिलें तो कृपया admin@charans.org पर ईमेल द्वारा सूचित करें। हार्दिक आभार।






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