सं.स्त्री.
सं.पुरकृष्ट, प्रा.पकड या पकड्ढ
1.पकड़ने की क्रिया या भाव, ग्रहण।
- मुहावरा--पकड़ में आणौ--पकड़ा जाना, हाथ लगना, दाव में फसना या आना, घात में आना, मिलना, वश में होना।
3.अशुद्धि, दोष आदि ढूंढ़ निकालने की क्रिया या भाव।
4.राग में आये स्वरों का एक ऐसा छोटा स्वर-समूह जो राग के पूरे रूप को प्रकट करता हो।
5.एक प्रकार की संडासी जिससे चीजें पकड़ी जाती हैं।
6.मस्तिष्क में बैठना, समझ में आना।