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शब्दभेद/रूपभेद
व्युत्पत्ति
शब्दार्थ एवं प्रयोग
1.देखो 'पच्छिम' (रू.भे.)
उदा.--
1..फरियौ
पछि
वाउ उत्तर, फतहरियौ सहू ए सूहव उर सरग। भुयंग धनी प्रथमी पुड़ भेदे, विवरे पैठा बे बरग।--वेलि.
उदा.--
2..तठा उपरांति करि नै राजांन सिलांमति हेमंतरित रौ वणाव कीजै छै। हेमंतरित लागि
पछि
रौ वाउ फिरियौ, उतराधौ वाउ वाजियौ--रा.सा.सं.
2.देखो 'पक्षी' (रू.भे.)
नोट:
पद्मश्री डॉ. सीताराम लालस संकलित वृहत राजस्थानी सबदकोश मे आपका स्वागत है। सागर-मंथन जैसे इस विशाल कार्य मे कंप्युटर द्वारा ऑटोमैशन के फलस्वरूप आई गलतियों को सुधारने के क्रम मे आपका अमूल्य सहयोग होगा कि यदि आपको कोई शब्द विशेष नहीं मिले अथवा उनके अर्थ गलत मिलें या अनैक अर्थ आपस मे जुड़े हुए मिलें तो कृपया admin@charans.org पर ईमेल द्वारा सूचित करें। हार्दिक आभार।
राजस्थानी भाषा, व्याकरण एवं इतिहास
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