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पति  
शब्दभेद/रूपभेद
व्युत्पत्ति
शब्दार्थ एवं प्रयोग
सं.पु.
सं.
1.किसी स्त्री का विवाहित पुरुष, भर्ता, खाविंद (ह.नां.मा.)
  • उदा.--1..व्यथा विरहाग वियोग विहाय, सवागण भाग संयोग सुहाय। अनाग्रह भुल्लित आंन उपाय, प्रफुल्लित ज्यूं पतनी पति पाय।--ऊ.का.
  • उदा.--2..वांणी हर बीसार कर, बंचै आंन कुबांण। नार छांड पति आपणौ, जार विलग्गी जांण।--ह.र.
2.स्वामी, प्रभु, मालिक।
3.ईश्वर।
4.शिव.
5.मर्यादा, इज्जात, प्रतिष्ठा।
6.विश्वास, प्रतीति, पत।
  • उदा.--साहिब, तुज्झ सनेहड़इ, प्रीति-तणी पति जाइ। जळ खिण ही जांणइ नहीं, मच्छ मरइ खिण मांइ।--ढो.मा.
7.देखो 'पत' (रू.भे.)
रू.भे.
पत, पती, पत्त, पत्ति, पत्ती।
पर्याय.--ईस्ट, कंत, करणबिबाह, खामंद, ढोलौ, धणी, धव, नाथ, नायक, पनामारू, पीतम, प्रांणेय, प्रांणेस, बर, बरयित, बालम, भरतार, भोगात, मांटी, रमण, विवोढ़, साहिब।


नोट: पद्मश्री डॉ. सीताराम लालस संकलित वृहत राजस्थानी सबदकोश मे आपका स्वागत है। सागर-मंथन जैसे इस विशाल कार्य मे कंप्युटर द्वारा ऑटोमैशन के फलस्वरूप आई गलतियों को सुधारने के क्रम मे आपका अमूल्य सहयोग होगा कि यदि आपको कोई शब्द विशेष नहीं मिले अथवा उनके अर्थ गलत मिलें या अनैक अर्थ आपस मे जुड़े हुए मिलें तो कृपया admin@charans.org पर ईमेल द्वारा सूचित करें। हार्दिक आभार।






राजस्थानी भाषा, व्याकरण एवं इतिहास

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