सं.पु.
सं.
1.किसी स्त्री का विवाहित पुरुष, भर्ता, खाविंद (ह.नां.मा.)
- उदा.--1..व्यथा विरहाग वियोग विहाय, सवागण भाग संयोग सुहाय। अनाग्रह भुल्लित आंन उपाय, प्रफुल्लित ज्यूं पतनी पति पाय।--ऊ.का.
- उदा.--2..वांणी हर बीसार कर, बंचै आंन कुबांण। नार छांड पति आपणौ, जार विलग्गी जांण।--ह.र.
5.मर्यादा, इज्जात, प्रतिष्ठा।
6.विश्वास, प्रतीति, पत।
- उदा.--साहिब, तुज्झ सनेहड़इ, प्रीति-तणी पति जाइ। जळ खिण ही जांणइ नहीं, मच्छ मरइ खिण मांइ।--ढो.मा.
रू.भे.
पत, पती, पत्त, पत्ति, पत्ती।
पर्याय.--ईस्ट, कंत, करणबिबाह, खामंद, ढोलौ, धणी, धव, नाथ, नायक, पनामारू, पीतम, प्रांणेय, प्रांणेस, बर, बरयित, बालम, भरतार, भोगात, मांटी, रमण, विवोढ़, साहिब।