वि.
सं.
1.जिसमें कविता के पद या चरण हों।
- उदा.--तूं ही पिंगळा डिंगळा पद्य गद्या। तूं ही वैदिका लौकिका छंद विद्या।--मे.म.
4.पिंगल के अनुसार चार चरणों वाला नियमित मात्रा या वर्ण का छंद।
- उदा.--गद्य-पद्य बे जगत में, जांण छंद की जात। सम पद पद्य सराहजै, छुटक द्य छ जात।--र.ज.प्र.
क्रि.प्र.--कै'णौ, जोड़णौ, पढणौ, बणाणौ, रचणौ।