HyperLink
वांछित शब्द लिख कर सर्च बटन क्लिक करें
 

पर  
शब्दभेद/रूपभेद
व्युत्पत्ति
शब्दार्थ एवं प्रयोग
वि.
सं.
1.अन्य, दूसरा, पराया।
  • उदा.--1..वाद भणी विद्या भणी, पर रंजण उपदेस।--स.कु.
  • उदा.--2..वसा ए ना वासौ जी ल्यां, म्हारी मिरगानैणी राज। पर घर वासौ ए सुंदर, ना लेवां जी म्हारा राज।--लो.गी.
यौ.
परआतमा, परउपकार, परकस्ट, परकाज, परघर, परचिंता, परदुख, परद्रोह, परधन, परनिंदा, परपीड़न, पररंजन, परसुख।
2.आगे का, पूर्व का।
  • उदा.--अणभे अणरागी, पर भव पागी, बग बागी बाजंदा है।--ऊ.का.
3.दूसरे का, पराए का।
  • उदा.--जीव दया पालउ जांण, आप समा पर प्रांण।--स.कु.
4.बाद का।
5.चोर (अ.मा.) सं.पु.[सं.]
1.शत्रु, वैरी (ह.नां.मा.)
  • उदा.--1..नीसांणै घाव वाजिया, गाजै गहरै सद्द। आकंपै पतसाह दळ, पडहायौ पर मद्द।--नैणसी
  • उदा.--2..सखी अमीणौ साहिबौ, सुणै नागरां ध्रीह। जावै पर दळ सांमुहौ, ज्यूं सादूळौ सीह।--बां.दा.
  • उदा.--3..सखी अमीणौ साहिबौ, गिणै पराई देह। सर वरसै पर चक्र सिर, ज्यूं भादवड़ै मेह।--बां.दा.
यौ.
परंतप।
2.पंख, पक्ष।
  • उदा.--वहि खाळ रत्राळ ग्रिझाळ परां, वजि छाक बँबाळ लंकाळ छके।--सू.प्र.
  • मुहावरा--1.पर आणा--पंख उगना, पंखों से युक्त होना।
  • मुहावरा--2.पर उखड़णा--कमजोर हो जाना, शक्तिहीन हो जना।
  • मुहावरा--3.पर उखाड़ना--कमजोर कर देना, शक्तिहीन कर देना।
  • मुहावरा--4.पर ऊगणा--शरारत आना, दुष्टता आना।
  • मुहावरा--5.पर कट जाणा--अशक्त हो जाना, कुछ करने लायक न रहना।
  • मुहावरा--6.पर काट दैणा--अशक्त कर देना, कुछ करने लायक न रहने देना।
  • मुहावरा--7.पर कैंचणा--पंख काट देना (कबूतरबाज)
  • मुहावरा--8.पर जमणा--देखो 'पर ऊगणा'।
  • मुहावरा--9.पर जळणा--साहस न होना, पहुंच न होना।
  • मुहावरा--10.पर झाड़णा--पुराने परों को गिराना, पंख फटफटाना।
  • मुहावरा--11.पर टूटणा--देखो 'पर जळणा।'
  • मुहावरा--12.पर न मारणा--पैर न रख सकना, जा न सकना।
  • मुहावरा--13.पर निकळणा--देखो 'पर आणा'।
  • मुहावरा--14.पर निकाळणा--उड़ने योग्य होना, पंखों से युक्त होना, बढ़ कर चलना, इतराना।
3.प्रीति, प्रेम।
  • उदा.--1..सुसतौ सो ठाकुर हुवौ। रजपूतां परज-लोग सूं भली पर पाळी।--नैणसी
  • उदा.--2..चीलांगण न तजै द्रुमचंदण, मांछांगण न तजै महण। मोटा धणी अबै तो 'मांना', पर पाळै तौ बडापण।--रिवदांन महड़ू
4.प्रतिज्ञा, प्रण।
  • उदा.--पर प्रहळाद तणी प्रत पाळी। वळ धू अखी कियौ वनमाळी।--र.ज.प्र.
5.मर्यादा, परम्परा।
  • उदा.--पर जूनी पाळणा कब पातां, गहलां राखण क्रीत घणी। करणीगर भव-भव मो कीजै, धरणीधर देवड़ौ धणी।--दुरसौ आढ़ौ
6.इतिहास, इतिवृत्त।
  • उदा.--पत हिंदू करण गुणां री पारख, पर जूनी पहचांण। भीम विलास पधारौ 'भीमा', रूपग सुणवा रांण।--किसनजी आढ़ौ
1.परन्तु, लेकिन।
  • उदा.--सर फूटै हैमरां नर दुसार। पर रुधर न भीजै होय पार।--विड़द सिंणगार
2.ऊपर, सीमा से परे।
  • उदा.--इतरे लाभ वथूळौ आवै, कहर क्रोध डंडूळ कहावै। छित पर कांम धुंध नभ छावै, पात्र विवेक निजर नहिं आवै।--ऊ.का.
यौ.
परव्रह्म।
3.देखो 'प्र' (रू.भे.) क्रि.वि.--अलग।
सं.स्त्री.[सं.]
अव्य.--


नोट: पद्मश्री डॉ. सीताराम लालस संकलित वृहत राजस्थानी सबदकोश मे आपका स्वागत है। सागर-मंथन जैसे इस विशाल कार्य मे कंप्युटर द्वारा ऑटोमैशन के फलस्वरूप आई गलतियों को सुधारने के क्रम मे आपका अमूल्य सहयोग होगा कि यदि आपको कोई शब्द विशेष नहीं मिले अथवा उनके अर्थ गलत मिलें या अनैक अर्थ आपस मे जुड़े हुए मिलें तो कृपया admin@charans.org पर ईमेल द्वारा सूचित करें। हार्दिक आभार।






राजस्थानी भाषा, व्याकरण एवं इतिहास

Project | About Us | Contact Us | Feedback | Donate | संक्षेपाक्षर सूची