सं.पु.
1.दो लघु के णगण गण के तीसरे भेद का नाम (डिं.को.)
2.देखो 'स्परस' (रू.भे.)
- उदा.--आ कैय नै वा वनमाळी रै उनमांन उणी भांत गूंदी रा डाळा माथै चढी अर अजेज गाबड़ रै बालाजोड़ी मार नै टिरगी। परस व्हैतां ई गाबड़ चिमकी अर माळण तौ सगळा रै देखतां देखतां भींडी लांघती हां करतां अदीठ व्हैगी।--फुलवाड़ी
3.देखो 'परसरांम'।
- उदा.--बदरी, टीकम, परस बुध, जग मोहण जैकारं। घणदाता आणंदघण, स्रीपति स्रब आधारं।--ह.र.