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पलोतण, पलोथण  
शब्दभेद/रूपभेद
व्युत्पत्ति
शब्दार्थ एवं प्रयोग
सं.पु.
सं.पुरलेपनम्‌
1.रोटी को बेलते समय लोई या चकले पर लगाया जाने वाला सूखा आटा जिससे बेलन या चकले पर गीला आटा चिपकता नहीं है। क्रि.प्र.--लगणौ, लागणौ।
2.वह व्यर्थ का व्यय जो किसी बड़े व्यय के पश्चात्‌ छोटे व्यय के रूप में और हो जाता है। क्रि.प्र.--दैणौ, लगाणौ, लागणौ, होणौ।
  • मुहावरा--खुद रौ पलोथण लगाणौ--खुद का खर्चा करना, व्यय वहन करना।
रू.भे.
पलेथण, पलेथन, पलोटन।


नोट: पद्मश्री डॉ. सीताराम लालस संकलित वृहत राजस्थानी सबदकोश मे आपका स्वागत है। सागर-मंथन जैसे इस विशाल कार्य मे कंप्युटर द्वारा ऑटोमैशन के फलस्वरूप आई गलतियों को सुधारने के क्रम मे आपका अमूल्य सहयोग होगा कि यदि आपको कोई शब्द विशेष नहीं मिले अथवा उनके अर्थ गलत मिलें या अनैक अर्थ आपस मे जुड़े हुए मिलें तो कृपया admin@charans.org पर ईमेल द्वारा सूचित करें। हार्दिक आभार।






राजस्थानी भाषा, व्याकरण एवं इतिहास

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