सं.पु.
सं.पुवनः
हवा, वायु।
- उदा.--जिण सक्ति परखि लजि तड़िति जात। ब्रत गवन पवन मन ज्यों विख्यात।--रा.रू.
यौ.
पवनअस्म, पवनकुमार, पवनगतौ, पवनघणईहा, पवनचकी (चक्की), पवनचक्र, पवनज, पवनतनय, पवनदाग, पवनदाह, पवनधिस्ण, पवननंद, पवननंदन, पवनपति, पवनपथ, पवनपरीक्षा, पवनपुत्र पवनपूत, पवनबंध, पवनमग, पवनमुक्तासन, पवनवांणी, पवनवाहन, पवनवग, पवनव्याधि, पवनसंघात, पवनसख, पवनसुत।
2.सर्प, साँप। क्रि.प्र.--लड़णौ, लागणौ।
3.विशिष्ट जाति वर्ग या समूह जो संख्या में 36 माने जाते हैं--
- उदा.--1..सोझत था ऊगवण नुं जाट बांणीयां सीरवी छत्तीस पवन बसै। सोझत सरीखौ कसबौ रा.जैतावत रौ उतन।--मा.प.वि.
- उदा.--2..घांची, घांछा, मौची, मणिहार, मइणारा, मेर, मैणा, सूई, सुतार, सोनार, चुनगर, चित्रगर, नीलगर, तेरमा, लूंणगर, ठंठारा, मठारा, लोहार, लोबांना, लोबना, लौढा, भोपा, भरडा, भिखारी, भील, कोळी, काठी, वणगर, कठीयारा, कळबी, कंसारा, कुंभार, चूड़ीगर, काछी, वांणिया, विप्र, वैद्य, वैश्या, वणघर, माली, तेली, मरदनीया, मठवासी, गोला, गांधी, गारडी, योगी, यति, सन्यासी, जिंदा, सोफी भगत, भ्रांमीक, भेषधर इत्यादि 36 पवन।--सभा
5.प्रतम लघु ढगण के भेद का नाम।
6.उंचास की संख्या* (डिं.को.)
रू.भे.
पन्न, पमण, पवन, पवन्न, पवन्नि, पूंन, पून, पूण, पोन, पौन।
पर्याय.--अनिळ, अहिबलभ, अहिभख, आसक, गंधवाह, चंचळ, चक्र, जगत-प्रांण, जळरिप, जवन, पवमांण, प्रकंपण, प्रभंजण, प्रापक, महाबळ, मरुत, मारुत, मेघअरि, मेघबाहण, म्रघभखण, म्रगवाहण, वात, वायु, सदागति, सपर-सन, सबळ, समीर, सासनभ, स्वसन, हवा।