वि.
सं.
1.शुद्ध, पापरहित।
- उदा.--पवित्र कंध इम करिस बडा प्रभ, नमे तूझ चरणां पोहोकरनभ। कंठ इम पवित्र करिस करुणाकर, गावेतूझ चरित गोपीवर।--ह.र.
2.निर्मल, स्वच्छ, साफ।
- उदा.--उदर पवित्र करिस अपरंपर। चरणाम्रत तो धरे चक्रधर।--ह.र.
1.वह कुश जो यज्ञ में घी को छिड़कने या शुद्ध करने में व्यवहृत होता है।
2.ताँबा। पर्या.--पावन, पुण्य, पूत।
रू.भे.
पवित, पवितर, पवित्त, पवित्तर, पवित्ति, पवीतर, प्रबीत, प्रवित, प्रविति, प्रवित्त, प्रवीत, प्रिवित।