सं.स्त्री.
सं.पुदक=पग
1.सिर पर बांधने का वस्त्र पगड़ी।
- उदा.--आज धुराऊ धुंधळौ, मोटी छांटां मेह। भींजी पाग पधारस्यौ, जद जांणूली नेह।--अज्ञात
2.देखो 'पग' (रू.भे.)
- उदा.--ऊंचे गिरवर आग, जळती सह देके जगत। परजळती निज पाग, रती न दीसै राजिया।--कृपाराम बारहठ (खिड़िया)
अल्पा.
पगड़ी, पग्गड़ी, पघड़ी, पघ्घड़ी, पागड़ी, पाघड़ी, पागणी। मह.--पगड़, पग्गड़, पघड़, पघ्घड़, पागड़, पागड़ौ।
विशेष विवरण:-पाग को पहले पैर के घुटने पर बांधते हैं और फिर सिर पर रखते हैं। इसी कारण इसका नाम पाग प्रतीत होता है।