वि.
सं.
1.पवित्र, शुद्ध।
- उदा.--1..पावन ह्रदौ करिस पुरुसोत्तम। संच गिनांन तूझ स्री संगम।--ह.र.
- उदा.--2..पावन हुवौ न पीठवौ, न्हाय त्रिवेणी नीर। हेक 'जेत' मिळियां हुवौ, सो निकळंक सरीर।--बां.दा.
- उदा.--3..गळ मुंडमाळ मसांण ग्रह, संग पिसाच समाज। पावन तूझ प्रताप सूं, संभु अपावन साज।--बां.दा.
2.पवित्र करने वाला। सं.पु.(सं.)
1.प्रथम सात सगण और अंतिम लघु गुरु वर्ण का छंद विशेष।
- उदा.--सात सगण लघु गुरु सहित, एकणि पाए आंणि। पाट कुंवर 'लखपति' रा, पावन छंद पछांणि।--ल.पिं
8.राजाओं की दासियां विशेष। वि.वि.--ये दासियां पतियों के मरने पर चूड़ा (अहिवात) न उतार कर राजाओं के मरने पर उतारती हैं। इनका सुहाग राजाओं के लिए होता है।