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पीह, पीहर
शब्दभेद/रूपभेद
व्युत्पत्ति
शब्दार्थ एवं प्रयोग
देखो 'पो'र (रू.भे.)
उदा.--
1..ताहरां आ, चांनण सांगमरावजी नूं कहियौ--'जु राज। चढ़ीजै नहीं। घोड़ी रौ वेम हूं ले आईस। ताहरां आ, चांनण पीहर गई। जाय नै भाई विसनदास पासा बछेरी मांगियौ।--नैणसी
उदा.--
2..पीहर पतळारा, सैणां रा प्यारा, तारक तूटां रा नैणं रा तारा। सीरी सिटियां रा सूल्हांरा, सारा, भीड़ी भूखां रा फूलां रा भारा।--ऊ.का.
उदा.--
3..पित-मात बांधव गोत्र पीहर, पांण मांण पराक्रमै।--पी.ग्रं.
उदा.--
4..जाया माजी रात जिस, पीहर हुऔ प्रवीत। आयां सुसरा आंगणै, निरमळ फैली नीत।--बां.दा.
नोट:
पद्मश्री डॉ. सीताराम लालस संकलित वृहत राजस्थानी सबदकोश मे आपका स्वागत है। सागर-मंथन जैसे इस विशाल कार्य मे कंप्युटर द्वारा ऑटोमैशन के फलस्वरूप आई गलतियों को सुधारने के क्रम मे आपका अमूल्य सहयोग होगा कि यदि आपको कोई शब्द विशेष नहीं मिले अथवा उनके अर्थ गलत मिलें या अनैक अर्थ आपस मे जुड़े हुए मिलें तो कृपया admin@charans.org पर ईमेल द्वारा सूचित करें। हार्दिक आभार।
राजस्थानी भाषा, व्याकरण एवं इतिहास
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