सं.स्त्री.
सं.पुीठिका
1.बैठने के निमित्त एक विशेष प्रकार की सूत या मूंज से बुनी हुई छोटी चौकी, छोटा पीढ़ा।
- उदा.--तरै पाखती एक पुरांणौ बडौ देहुरौ छै, तठै सांखळी नूं ओलै राखी, उठै 'धारू' जायौ तरै पीढ़ी एकी उपरी राखियौ तठै सांप रौ बिल एक छै, तिण मांहै सूं साप एक नीसरनै पीढ़ी परदखणा देनै मोहर 1, सोनौ तोळा पांच भर री मेल गयौ।--नैणसी
2.किसी कुल विशेष की परम्परा में किसी विशिष्ट व्यक्ति की आगे जन्म लेने वाली संतान का क्रमागत स्थान या कड़ी। वि.वि.--वंश का क्रम दोनों से गिना जाता है यथा--प्रपितामह, पितामह, पिता ये तीनों पीढ़ियां या पुत्र, पिता, दादा ये तीन पीढ़ियां। जिस व्यक्ति से क्रम शुरू होता है उसी के बाद से पीढ़ी चलती है।
- उदा.--1..आप मनांणै आविया, निरभै कर नग्गर। 'जूंझै' नीसांणी कही, मूझ सीस मयाकर। दस पीढ़ी सूं रावळौ, यूं रहियौ ऊपर। तो जस करनी 'मेह' तण, त्रिहलोकां ऊपर।--जूंझारसिंह मेड़तियौ
- उदा.--2..तेरा सै संमत बरस इकतीसै, जवन हिंदवां हुवौ जुद। रांणै बात अबीढ़ी राखी, तेरा पीढी झड़ी तद।--महारांणा गढ़ लक्ष्मणसिंह रौ गीत
3.वंश क्रम में प्रत्येक कड़ी के अंतर्गत आने वाले सब लोग जो संबंध रिश्तों में बराबर के हों। ज्यूं--उण री तीजी पीढ़ी में परिवार रै लोगां री गिणती पचास रै उनमांन ही, पण पांचवी पीढ़ी में बीस डील रौ परिवार है।
4.किसी देश, समाज या परिवार का एक समय व एक अवस्था के अंतर्गत आने वाले व्यक्तियों का समूह। ज्यूं.--आज री पीढ़ी रै लोगां में प्राचीन परंपरावां रै प्रति गै'री उदासी है।
5.किसी क्षेत्र विशेष या विषय विशेष से संबंधित परम्परागत अवस्था। ज्यूं.--संगीत अर कळा री पुरांणी पीढ़ी में फिलम रै आविस्कार बो'त अंत आयगौहै।