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पुत्तु, पुत्तौ, पुत्र  
शब्दभेद/रूपभेद
व्युत्पत्ति
शब्दार्थ एवं प्रयोग
सं.पु.
सं.पुत्र
पुत्र, लड़का, बेटा।
  • उदा.--1..ए पुत्तु तसु कूखि ऊपन्नउ। विद्या लक्षण गुण संपन्नउ।--पं.पं.च.
  • उदा.--2..तुं जग जीवन प्रांण आधारा। तुं मेरा पुत्ता बहुत पियारा।--स.कु.
  • उदा.--3..सूरज पुत्र करन्न, पेट कूंता उतपन्नौ। पवन पुत्र हणमंत, उदर अंजनी उपन्नौ।--गु.रू.बं.
2.बालक (अ.मा., (ह.नां.मा.) पर्या.--अंगज, अपकंठ, अरभ, असुध, कुमार, कुळधर, कोमळ, खीरकंठ, छावौ, छोकरौ, जायौ, जोध, डावड़ौ, डिमतनु, डीकरौ, तनय, तात, धप, घोटौ, नंद, पाक, पोत, प्रथुक, बाळ, लघुवेस, ललत, संमोभ्रम, (समोभ्रम) साव, सिवाई, सिसु, सुजाव, सुत, सूनु, स्तन-धय।--
रू.भे.
पुत, पुतर, पुतौ, पुत्त, पुत्तर, पूत, पूत्त, पूत्तु, पूत्रु।
अल्पा.
पूतड़लौ, पूतड़ौ, पूतरौ, पूत्रौ।


नोट: पद्मश्री डॉ. सीताराम लालस संकलित वृहत राजस्थानी सबदकोश मे आपका स्वागत है। सागर-मंथन जैसे इस विशाल कार्य मे कंप्युटर द्वारा ऑटोमैशन के फलस्वरूप आई गलतियों को सुधारने के क्रम मे आपका अमूल्य सहयोग होगा कि यदि आपको कोई शब्द विशेष नहीं मिले अथवा उनके अर्थ गलत मिलें या अनैक अर्थ आपस मे जुड़े हुए मिलें तो कृपया admin@charans.org पर ईमेल द्वारा सूचित करें। हार्दिक आभार।






राजस्थानी भाषा, व्याकरण एवं इतिहास

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