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पुळक, पुलक     सं.पु.  
शब्दभेद/रूपभेद
व्युत्पत्ति
शब्दार्थ एवं प्रयोग
सं.पु.
सं.पुल+कन्‌
1.प्रेम, भय, हर्ष के कारण शरीर में होने वाला रोमांच, कम्पन।
2.कोई काम करने की प्रवृत्ति उत्पन्न करने वाली कामना। ज्यूं--संभोग-पुळक।
3.एक प्रकार का बहुमूल्य पत्थर, रत्न, नगीना जिसे महताब, याकूत, चुन्नी भी कहते हैं।
4.हाथी का रातिब।
5.हरताल।
रू.भे.
पुळकि।


नोट: पद्मश्री डॉ. सीताराम लालस संकलित वृहत राजस्थानी सबदकोश मे आपका स्वागत है। सागर-मंथन जैसे इस विशाल कार्य मे कंप्युटर द्वारा ऑटोमैशन के फलस्वरूप आई गलतियों को सुधारने के क्रम मे आपका अमूल्य सहयोग होगा कि यदि आपको कोई शब्द विशेष नहीं मिले अथवा उनके अर्थ गलत मिलें या अनैक अर्थ आपस मे जुड़े हुए मिलें तो कृपया admin@charans.org पर ईमेल द्वारा सूचित करें। हार्दिक आभार।






राजस्थानी भाषा, व्याकरण एवं इतिहास

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