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पेट  
शब्दभेद/रूपभेद
व्युत्पत्ति
शब्दार्थ एवं प्रयोग
सं.पु.
सं.पेट=थैला
1.शरीर के मध्य भाग का वह सामने वाला अंग जो छाती के नीचे और पेडू के ऊपर होता है। (अ.मा., ह.नां.मा.)
2.शरीर की वह थैली जिसमें पहुंचकर खाया हुआ अन्न पचता है, आमाशय, ओझर।
  • उदा.--छाक पियौ जिण पेट छुडायौ। भारी पांणी जनम भंडायौ।--ऊ.का.
  • उदा.--पद: 1.पेट कढावे वेट--भोजन के लिए किए जाने वाला धंधा।
    2.पेट का कुत्ता--जो केवल भोजन के लालच से सब कुछ कर सकता हो।
    3.पेट का धंधा--1.जीविका-निर्वाह हेतु किया जाने वाला उद्योग, धंधा। 2.रसोई बनाने का कार्य।
    4.पेट की आग--भूख या क्षुधा।
    5.पेट के लिए--उदरपूर्ति के लिए।
  • मुहावरा--1.पेट आणौ--पतले दस्त लगना।
  • मुहावरा--2.पेड आफरणौ--पेट में वायु के कारण विकार होना, पेट का फूल जाना।
  • मुहावरा--3.पेट और पीठ एक होणौ--1.बहुत भूखा होना। 2.बहुत दुबला होना।
  • मुहावरा--4.पेट ऐंठणौ--पेट में दर्द होना।
  • मुहावरा--5.पेट कटणौ--पेट में मरोड़ चलना।
  • मुहावरा--6.पेट काटणौ--बचत के लिए कम खाना।
  • मुहावरा--7.पेट की आग बुझाणी--खाकर भूख मिटाना।
  • मुहावरा--8.पेट भराई--गुजारा, निर्वाह।
  • मुहावरा--9.(किसी को) पेट की मार देणौ--1.भूखा रखना, किसी की रोजी छीनना, 2.जीविका उपार्जन में बाधक बनना।
  • मुहावरा--10.पेट रौ पांणी तक न हिलणौ--जरा भी परिश्रम न होना।
  • मुहावरा--11.पेट रो पांणी न पचणौ।--किसी बात को कहे बिना न रह सकना।
  • मुहावरा--12.पेट गुड़गुड़ाणौ--पेट में अपच के कारण गुड़गुड़ शब्द करना।
  • मुहावरा--13.पेट छंटणौ--1.पेट का मल या विकार निकल जाना। 2.मोटापा कम होना।
  • मुहावरा--14.पेट छूटणौ--पतले दस्त आना।
  • मुहावरा--15.पेट जळणौ--बहुत भूख लगना।
  • मुहावरा--16.पेट दिखांणौ--भूखे होने का संकेत करना।
  • मुहावरा--17.पेट दूखणौ--किसी की उन्नति देखकर जलना।
  • मुहावरा--18.पेट न भरणौ--पूरा न पड़ना।
  • मुहावरा--19.पेट नै धोखौ देणौ--खाने में बचाना।
  • मुहावरा--20.पेट पकड़'र फिरणौ--बहुत अधिक विकलता बताते हुए घूमना।
  • मुहावरा--21.पेट पर सांप लौटणौ--घबरा जाना, हतप्रभ होना।
  • मुहावरा--22.पेट पांणी होणौ--बार-बार पतले दस्त होना।
  • मुहावरा--23.पेट पापी--जीवन में किए जाने वाले पापों की जड़ पेट है।
  • मुहावरा--24.पेट पाळणौ--किसी तरह निर्वाह करना।
  • मुहावरा--25.पेट फाटणौ--पेट में बहुत अधिक दर्द होना, अधिक खाने से तकलीफ महसूस होना, अत्यधिक खुशी होना।
  • मुहावरा--26.पेट फूलणौ--कोई बात जानने या कहने को बहुत उत्सुक होना।
  • मुहावरा--27.पेट बाळणौ--(किसी को)परेशान करना।
  • मुहावरा--28.पेट भरणौ--1.जो कुछ मिले वह खा लेना। 2.जी भरना, संतोष होना।
  • मुहावरा--29.पेट मसोसणौ--भूखे मरना।
  • मुहावरा--30.पेट मार'र मरणौ--आत्मघात करना।
  • मुहावरा--31.पेट में ऊंदरा दौड़णौ--अधिक भूख लगना।
  • मुहावरा--32.पेट में खळबळी होणी--घबराना, अधिक भूख लगना, भूख के मारे विह्वल होना।
  • मुहावरा--33.पेट में डाळणौ--जो कुछ मिले वह खा लेना।
  • मुहावरा--34.पेट में दाढी होणी--छोटी अवस्था में ही वयस्कों की तरह चतुर होना।
  • मुहावरा--35.पेट में पग होणा--अत्यंत छली या कपटी होना।
  • मुहावरा--36.पेट रै पाटी बांधणौ--भूखा रहना।
  • मुहावरा--37.पेट में बळ पड़णौ--अधिक हंसी के कारण पेट में दर्द होना।
  • मुहावरा--38.पेट बळणौ--पेट में अत्यधिक गर्मी अनुभव करना, दुर्घटना की आशंका होना।
  • मुहावरा--39.पेट सूं पांव निकाळणौ--1.कुमार्ग में लगना। 2.सामर्थ्य या योग्यता से अधिक काम करना।
3.वंश, कुल।
  • उदा.--राव लाखा रौ पेट--सोभौ, सहसमल लाखौ। ऊदौ लखारौ टीकै न हुवौ।--नैणसी
4.बन्दूक या तोप के अंदर का वह स्थान जहां गोली या गोला भरा या रखा जाता है।
5.किसी खुली या पोली चीज के बीच का भीतरी खाली भाग। ज्यूं--बोतल रो पेट।
6.स्त्री का गर्भाशय या उसमें स्थित होने वाला गर्भ, हमल।
  • उदा.--1..पेट धरे जायौ पछै, घबरायौ मळ धोय। जिण कारण जगदीस सूं, जणणीं गरवी जोय।--बां.दा.
  • उदा.--2..सुणि ढोला, करहउ कहइ, सांमि-तणउ मो काज। सरदी पेट न लेटयइ, मूंध न मेलूं आज।--ढो.मा.
  • उदा.--पद:-1.पेट चोट्टी--वह स्त्री जिसके गर्भ तो हो किन्तु बाहर से दिखाई न पड़े। 2.पेट पोंछना--अंतिम संतान। 3.पेट वाळी--गर्भवती स्त्री।
  • मुहावरा--1.पेट गदराणौ--गर्भवती होने के कारण पेट का उभरना।
  • मुहावरा--2.पेट गिरणौ--गर्भपात होना।
  • मुहावरा--3.पेट गिराणौ--गर्भपात कराना।
  • मुहावरा--4.पेट ठंडौ करणौ--बच्चों से संतोष करना।
  • मुहावरा--5.पेट ठंडौ रहणौ--संतान के जीवित रहने से माता का सुखी रहना।
  • मुहावरा--6.पेट दिखाणौ--गर्भ पहिचावाना।
  • मुहावरा--7.पेट फुलाणौ--किसी स्त्री को गर्भवती कर देना।
  • मुहावरा--8.पेट फूलणौ--गर्भवती होना।
  • मुहावरा--9.पेट बळणौ--संतान का मर जाना या संतान मरने का दुःख होना।
  • मुहावरा--10.पेट बाळणौ--किसी की संतान को मारना।
  • मुहावरा--11.पेट राखणौ--पुरुष के साथ सम्भोग करके गर्भाशय में गर्भ स्थित कराना।
  • मुहावरा--12.पेट रहणौ--गर्भ रहना।
  • मुहावरा--13.पेट सूं होणी--गर्भवती होना।
7.लाक्षणिक रूप में अन्त: करण या मन।
  • उदा.--पद:- 1.पेट का गहरा--जो अपने मन की बात किसी पर प्रकट न होने दे। 2.पेट का हलका--जो सुनी हुई बात छिपाकर न रख सके। 3.पेट की बात--मन में छिपाकर रखी हुई बात। 4.पेट में--मन या हृदय में।
  • मुहावरा--1.पेट दैणौ--अपना गूढ रहस्य बताना।
  • मुहावरा--2.पेट में घुसणौ--मन का भेद जानना ।
  • मुहावरा--3.पेट में डाळणौ--देखी या सुनी हुई बात अपने मन में छिपा कर रखना।
  • मुहावरा--4.पेट में होणौ--भीतर होना, कब्जे में होना।
  • मुहावरा--5.पेट मोटौ हो जाणौ--1.खूब रिश्वत खाना। 2.धनी हो जाना।
  • मुहावरा--6.पेट से निकळणौ--दूसरे द्वारा छिपाई या दबाई हुई चीज को प्राप्त करना।
अल्पा.
पेटड़लौ, पेटि, पेटौ, पेदौ।


नोट: पद्मश्री डॉ. सीताराम लालस संकलित वृहत राजस्थानी सबदकोश मे आपका स्वागत है। सागर-मंथन जैसे इस विशाल कार्य मे कंप्युटर द्वारा ऑटोमैशन के फलस्वरूप आई गलतियों को सुधारने के क्रम मे आपका अमूल्य सहयोग होगा कि यदि आपको कोई शब्द विशेष नहीं मिले अथवा उनके अर्थ गलत मिलें या अनैक अर्थ आपस मे जुड़े हुए मिलें तो कृपया admin@charans.org पर ईमेल द्वारा सूचित करें। हार्दिक आभार।






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