सं.पु.
सं.पुरीति ?
1.पुरुष की स्त्री के प्रति व स्त्री की पुरुष के प्रति होने वाली ऐसी आसक्ति पूर्ण भावना जो पारस्परिक आकर्षण के कारण होती है, प्रेम, मुहब्बत।
2.प्रेम-पूरक किया जाने वाला चुम्बन।
3.किसी के प्रति होने वाली आसक्तिपूर्ण या श्रद्धापूर्ण भावना।
- उदा.--चिर सार यही सब प्यार चहौ। उपकार बिनां नहिं पार अहौ।--ऊ.का.
रू.भे.
पिआर, पियार, पीयार।