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प्यास, प्यासा  
शब्दभेद/रूपभेद
व्युत्पत्ति
शब्दार्थ एवं प्रयोग
सं.स्त्री.
सं.पिपासा
1.जल पीने की इच्छा, तृषा, पिपासा।
  • उदा.--क्षुधा प्यासा भासा दुसहकर आसा दुख खगें। अधरमी धार है, सरब सुखकारी मुख अगें।--ऊ.का.
किसी वस्तु की प्राप्ति की प्रबल इच्छा, कामना। --पर्या.--त्रसा, त्रटपांन, पिपासा।
रू.भे.
पिआस, पियास।
क्रि.प्र
बुझणी, बुझाणी, मरणी, मारणी, मिटणी, मिटाणी, लगणी, लगाणी।


नोट: पद्मश्री डॉ. सीताराम लालस संकलित वृहत राजस्थानी सबदकोश मे आपका स्वागत है। सागर-मंथन जैसे इस विशाल कार्य मे कंप्युटर द्वारा ऑटोमैशन के फलस्वरूप आई गलतियों को सुधारने के क्रम मे आपका अमूल्य सहयोग होगा कि यदि आपको कोई शब्द विशेष नहीं मिले अथवा उनके अर्थ गलत मिलें या अनैक अर्थ आपस मे जुड़े हुए मिलें तो कृपया admin@charans.org पर ईमेल द्वारा सूचित करें। हार्दिक आभार।






राजस्थानी भाषा, व्याकरण एवं इतिहास

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