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प्रबोध  
शब्दभेद/रूपभेद
व्युत्पत्ति
शब्दार्थ एवं प्रयोग
सं.पु.
सं.पुरबोध:
1.किसी विषय या बात का पूर्ण ज्ञान, यथार्थ-ज्ञान।
  • उदा.--खून करै खटबरन पिण, कुंवर करै नंह क्रोध। 'भारांणी' 'क्रन' 'भोज', ज्यूं, पायौ अचळ प्रबोध।--बां.दा.
2.बुद्धि, प्रज्ञा। (अ.मा.)
3.जागृति, अनिंद्रता।
4.सतर्कता।
5.सत्यासत्य-ज्ञान।
6.धैर्य, सांत्वना, आश्वासन।
रू.भे.
परबोद, परबोध, परमोद, परमोध।


नोट: पद्मश्री डॉ. सीताराम लालस संकलित वृहत राजस्थानी सबदकोश मे आपका स्वागत है। सागर-मंथन जैसे इस विशाल कार्य मे कंप्युटर द्वारा ऑटोमैशन के फलस्वरूप आई गलतियों को सुधारने के क्रम मे आपका अमूल्य सहयोग होगा कि यदि आपको कोई शब्द विशेष नहीं मिले अथवा उनके अर्थ गलत मिलें या अनैक अर्थ आपस मे जुड़े हुए मिलें तो कृपया admin@charans.org पर ईमेल द्वारा सूचित करें। हार्दिक आभार।






राजस्थानी भाषा, व्याकरण एवं इतिहास

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