सं.पु.
सं.पुरयोजनम्
उद्देश्य, अभिप्राय, मतलब।
- उदा.--कहण वाळी स्त्री सती है सो घोड़ै ही सरीर नहीं राखियौ तौ हूं तौ पती रौ आधौ सरीर हूं सो सत कर सुरग में जाय मिळसूं इण आदि अनेक प्रयोजन है सो विसतार भय सूं किंचित लिखिया है।--वीर सतसई की टीका
रू.भे.
परयोजन, पिरियोजन, पिरोजन, प्रियोजन।