वि.
सं.
1.खुश, संतुष्ट।
- उदा.--1..सु देवराज सूं सांमी प्रसन्न हुय नै कह्यौ--वात हुइ सो म्है जांणी।--नैणसी
- उदा.--2..अरी न अप्रसन्न ह्वै प्रसन्न में बडौ बिभौ।--ऊ.का.
2.जो किसी के कार्य या बात तथा गुणों को देखकर संतुष्ट और हर्षित हुआ हो।
- उदा.--स्रम थोड़ै वोह नफौ सांपजै, बीसर मती अनोखी बात। रहै प्रसन्न ऐ आयस रीधै, छात सिधां नरपतियां छात।--बां.दा.
रू.भे.
परसण, परसन, परसन्न पसंद, पसन्न, प्रसण, प्रसन, प्रासन्न।