सं.पु.
सं.पुरस्ताव:
1.अवसर, मौका।
- उदा.--1..इण प्रस्ताव पूनौ तौ राव जी कनै गयौ। उठै राव जी नागौर रौ कोट छोड़नै बाहिर आया। भाटियां री फोज आई। ताहरां राव जी सांम्हां जाय नै लड़िया। रावजी कांम आया।--नैणसी
- उदा.--2..जद स्वांमीजी एक टोपसी में सपेतौ हुंतौ इतलै वायरौ वाज्यौ। एहवौ प्रस्ताव देखनै आप गाथा जोड़ता थका ईज बोल्या।--भि.द्र.
2.समय।
- उदा.--1..अेकदा प्रस्ताव राव जोधौ जी दरबार कियां विराजै।--द.दा.
- उदा.--2..एकणि प्रस्ताव पातिसाह, स्रीसेरसाह, सलेमसाह बाप बेटौ दोअू विखै पड़ियै राव लूणकरण कन्है चाकरी वीकानेर आय रहिया हूता।--द.वि.
4.प्रकरण, अध्याय।
- उदा.--इति स्री खट-रिति रै वात बणाव रौ दूसरौ प्रस्ताव पूरौ हुऔ।--रा.सा.सं.
6.आरंभ, शुरुआत।
- उदा.--केतली प्रतिमा कह नी वलि, किण भराव्यउ भाव सुं। ए कउण नगरी किण प्रतिस्ठी, ते कहुं प्रस्ताव सुं।--स.कु.
7.वह उद्देश्य, नई बात या योजना जो विचारार्थ सामने रखी जाय, सलाह।
रू.भे.
परसताव, पस्ताव, प्रसताव, प्रसथाव, प्रस्तावि, प्रस्तावौ, प्रस्थाव।