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प्रिया  
शब्दभेद/रूपभेद
व्युत्पत्ति
शब्दार्थ एवं प्रयोग
सं.स्त्री.
सं.
1.प्रेयसी, प्रेमिका।
  • उदा.--सदा प्रिया सु प्रीति रीति गीत सारणी नहीं। निसास-रोज आंननी अरोज धारणी नहीं।--ऊ.का.
2.स्त्री, पत्नी। (अ.मा., ह.नां.मा.)
  • उदा.--सुधन्य माता कौसल्या, तात दसरथ धनि भूपति। अवधि पूरि धनि अवनि, प्रिया धनि सीत तास-पति।
3.माया।
4.दो रगण का वर्ण वृत्त विशेष।
रू.भे.
पिय, पिया, प्रियु, प्रीया।
अल्पा.
पीआरड़ी।


नोट: पद्मश्री डॉ. सीताराम लालस संकलित वृहत राजस्थानी सबदकोश मे आपका स्वागत है। सागर-मंथन जैसे इस विशाल कार्य मे कंप्युटर द्वारा ऑटोमैशन के फलस्वरूप आई गलतियों को सुधारने के क्रम मे आपका अमूल्य सहयोग होगा कि यदि आपको कोई शब्द विशेष नहीं मिले अथवा उनके अर्थ गलत मिलें या अनैक अर्थ आपस मे जुड़े हुए मिलें तो कृपया admin@charans.org पर ईमेल द्वारा सूचित करें। हार्दिक आभार।






राजस्थानी भाषा, व्याकरण एवं इतिहास

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