2.पर्वत या तालाब की मेंढ़ का वह भाग जो भूमि को स्पर्श करता है, तलहटी।
- उदा.--डहलाए दद्दर हींसै हैमर फूटि सरोवर पाळ फरं।--गु.रू.बं.
3.पशु के अगले पैर और धड़ से जुड़ने के संधिस्थान के अंदर का भाग।
- उदा.--महांराणौ जी एक इका नै पातसा रा हाथी आगै वहतां मार नीसारिया तठै इका री तरवार घोड़ा रै फर में पड़ी आगलौ डावौ पग उठै हीज पड़ियौ।--वीर सतसई की टीका
4.ढाल।
- उदा.--1..आंणी असह जडाळी आहव, फूटती धोह में फर। हुय तौ कळह 'कुंभक्रन' होयै, न तौ असुर सर नर अवर।--महारांणा कुंभा रौ गीत
- उदा.--2..थें भो पासे धन देख वाहर कर आया सो फर ढाल नैं तीरां तीर लीधां आपरै भुजाआं रै भरोसे हां, जकण रै हीज पांण धरती रा धन खावां हां।--वीर सतसई की टीका
5.बाण में तीर का अग्र नुकीला भाग।
- उदा.--पे'लै पार बेर बींद झराये बेवांणां परी, सोक सरां वायकुंडां पुराये सादीह। फरां फाड़ै सत्रां तोड़ै चुराये भालडां फूटै, अेके-राड़ै फतै जांगी घुराये अबीह।--गंभीरसिंघ सोळंकी रौ गीत
7.झूंठी प्रशंसा करना, बढ़ा-चढ़ा कर कहना। क्रि.प्र.--मारणी।
8.चिड़िया के उड़ने से परों से उत्पन्न ध्वनि।
- उदा.--चिड़ी तौ फर करती उठा सूं उडगी।--फुलवाड़ी
9.देखो 'फल' (रू.भे.)
- उदा.--आंपण पांन फर मेल्हिया ईसर, मोटै सुपर दियंता मांन।--महादेव पारवती री वेलि