सं.स्त्री.
देशज
1.एक प्रकार का आभूषण जिसे स्त्रियें हाथ की कलाई पर पहनती हैं।
- उदा.--1..अर परिणांम रै समय हजारां बीबियां रा हाथ बंगड़ी बिहूणा करि काचरा कुंभ जिम ऊजळा लोहा खंड--खंड होय परलोक पायौ।--वं.भा.
- उदा.--2..जळै आप रै रोस अैसा जुअंनं, त्रिणा मात्र जांणै धणी कांमि तंनं। सबद्दां जिकै वेध धांनंख साधी, बळट्ठी हणै बंगड़ी बाळ बांधी।--वचनिका
2.एक प्रकार का खिलौना, फिरकी।
3.नैचा के मध्य का उठा हुआ गोलाकार भाग।
4.देखो 'बंगड़' (अल्पा., रू.भे.)
- उदा.--तांह गजराजां रा ऊजळा दांतूसळ बंगड़ीआं सूं जड़िआ छै। जांणै घटा बीच बगलां री जोड़ी वडी दीसै छै।--रा.सा.सं.