वि.
फा.
1.जिसके चारों और कोई अवरोध या रुकावट हो, जो चारों ज्यूं.--बंद पांणी गंदौ हो जावै है।
2.इस प्रकार से घिरा हुआ जिसके भीतर कोई प्रवेश न कर सके।
3.वह जिसके मुख या निकास स्थान पर दरवाजा, आच्छादन या ताला लगा हो। ज्यूं.--बंद पेटी, बंद कळस, बंद देगची, बंद कोठी।
4.वह जिसका मुख या अग्र--भाग खुला न हो। ज्यूं.--बंद कमळ, बंद बोतल।
5.जिसका कार्य स्थगित हो या रुक गया हो। ज्यूं--कालै प्रेस बंद हौ, हड़ताल होबण सूं पाठसाळा बंद ही।
6.जो गति या व्यापारयुक्त न हो, जो चला न चलता हो, रुका हुआ, थमा हुआ। ज्यूं--घड़ी
बंद है, बरसात
बंद है।
- उदा.--चोवटा री अेक हाट रा खुला बरांमदा में घड़ी रात थकां घरर--घरर घरटी मंडण लागी सौ हाल आधी ढळियां बंद नीं ह्वी।--फुलवाड़ी
7.जिसका प्रचा या प्रकाशन रुक गया हो, जो जारी न हो। ज्यूं--पुरांणौ सिक्कौ बंद होग्यौ, घाटौ पड़ण सुं दुकांन बंद हूयगी।
8.जो किसी की कैद में हो। सं.पु.--
1.बांधना क्रिया का भाव, बंधन।
2.कपड़े की रंगाई में वह बंधन जो रंगरेज लोग चुंनरी या लहरियेदार रंगाई आदि रेगने के पहले कपड़े में महीन धागों से बांधते हैं।
3.सिर पर पगड़ी बांधने का ढंग विशेष। ज्यूं.--राठोड़ी
बंद।
- उदा.--ख्यातव्यां बंद छोड खिड़कियां, धणियां टोपी धारी रे।--ऊ.का.
4.दीवार की मजबूती के लिए थोड़ी--थोड़ी ऊंचाई पर 'चाप' (पत्थर की छोटी पट्टी) जमाने की क्रिया या भाव।
5.स्त्रियों के पहनने का हाथ का आभमषण। 6 विबंध, आनाह, कब्ज।
- मुहावरा--बंद छूटणौ--अत्यधिक अतिशार होना।
7.देखो 'बंध' (रू.भे.)
- उदा.--1..सदाई सबळौ राजा निबळा राजां नै झलता आया छै, बंद मांहै सदाई राखता आया, पिण तौ ठाकुर ज्यूं कोई अति--गति मांडै नहीं।--कहवाट सरवहिया री बात
- उदा.--2..इण सूं 'जेसौ' निपट कावौ छै। सु इघ रा मांणस बेटा बंद करौ नै कहीजौ--'जेसा' नूं आंण दै तौ थारी बंद छोडा'।--नैणसी
- उदा.--3..उणां रै खावण--पीवण रौ इंतजांम महीना भर पै'लां इैज सरू व्हैग्यौ हौ। कळसियां बंद आछौ पिसाणै, पीपां बंद घी अर बोरियां बंद गुड़--खांड आई।--रातवासौ
- उदा.--4..कईक सती कईक यती, दोऊ बंद बंधाया। निरबंधन अलख अविनासी, जिन खोज्या सोई पाया।--स्त्रीहरिरांम जी महाराज