सं.स्त्री.
फा.
1.भक्तिपूर्वक ईश्वराराधना, ईश्वर वंदना।
- उदा.--1..जन हरिदास हरि अगम है, पहुंचै विरळा कोय। साहिब की ही बंदगी, साहिब ही ते होय।--ह.पु.वां.
- उदा.--2..सेवक सिरजनहार का, साहिब का बंदा। दादे सेवा बंदगी, दूजा क्या धंधा।--दादूबांणी
2.सेवा, सुश्रुषा, टहल, खिदमत।
- उदा.--1..जवनां सहित अठी हम जावै, उण दिस दळ गुजराती आवै। सुण सौ पछै हकीकत सारी, व्है है पति बंदगी हमारी।--रा.रू.
- उदा.--2..आय पदमसिंह जी सूं मुजरौ कियौ अर कही--हूं तौ राज रौ रजपूत छूं, हुकम हुवै तौ साथै बंदगी मांहै होऊं।--पदमसिंह री बात
3.अथभवादन, सलाम। क्रि.प्र.--करणी, कराणी, होणी।