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बंदगी  
शब्दभेद/रूपभेद
व्युत्पत्ति
शब्दार्थ एवं प्रयोग
सं.स्त्री.
फा.
1.भक्तिपूर्वक ईश्वराराधना, ईश्वर वंदना।
  • उदा.--1..जन हरिदास हरि अगम है, पहुंचै विरळा कोय। साहिब की ही बंदगी, साहिब ही ते होय।--ह.पु.वां.
  • उदा.--2..सेवक सिरजनहार का, साहिब का बंदा। दादे सेवा बंदगी, दूजा क्या धंधा।--दादूबांणी
2.सेवा, सुश्रुषा, टहल, खिदमत।
  • उदा.--1..जवनां सहित अठी हम जावै, उण दिस दळ गुजराती आवै। सुण सौ पछै हकीकत सारी, व्है है पति बंदगी हमारी।--रा.रू.
  • उदा.--2..आय पदमसिंह जी सूं मुजरौ कियौ अर कही--हूं तौ राज रौ रजपूत छूं, हुकम हुवै तौ साथै बंदगी मांहै होऊं।--पदमसिंह री बात
3.अथभवादन, सलाम। क्रि.प्र.--करणी, कराणी, होणी।
रू.भे.
बंदीगी, वंदगी।


नोट: पद्मश्री डॉ. सीताराम लालस संकलित वृहत राजस्थानी सबदकोश मे आपका स्वागत है। सागर-मंथन जैसे इस विशाल कार्य मे कंप्युटर द्वारा ऑटोमैशन के फलस्वरूप आई गलतियों को सुधारने के क्रम मे आपका अमूल्य सहयोग होगा कि यदि आपको कोई शब्द विशेष नहीं मिले अथवा उनके अर्थ गलत मिलें या अनैक अर्थ आपस मे जुड़े हुए मिलें तो कृपया admin@charans.org पर ईमेल द्वारा सूचित करें। हार्दिक आभार।






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