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बंदी  
शब्दभेद/रूपभेद
व्युत्पत्ति
शब्दार्थ एवं प्रयोग
सं.पु.
सं.वंदिन्‌
1.बंदीजन, भाट।
  • उदा.--थोड़ी--थोड़ी लिखूं सिलांम, बहोत करि जांएज्यौ। बंदी हूं खांनाजाद, महरि करि मांनज्यौ।--मीरां
2.कैदी।
  • उदा.--इहां चोर नइ बंदी ना द्रस्टांत जांणिवा। जिम चोरु चोरी इं पइसइ अनइ मरिवाइतउ बीहइ नहीं। बंदियांण बंदि झलिवा पइसइ तिम जांणिवउं।--षष्टीशतक प्रकरण
3.वह कार्यक्रम जिसका नित्य होना निश्चित हो, बंधा हुआ क्रम, बंधेज। ज्यूं.--दूध री बंदी, पांणी री बंदी
4.देखो 'बांदी' (रू.भे.)
रू.भे.
बंदि, बंद्दी, बंधी, बांदि।
(फा.)
सं.स्त्री.--


नोट: पद्मश्री डॉ. सीताराम लालस संकलित वृहत राजस्थानी सबदकोश मे आपका स्वागत है। सागर-मंथन जैसे इस विशाल कार्य मे कंप्युटर द्वारा ऑटोमैशन के फलस्वरूप आई गलतियों को सुधारने के क्रम मे आपका अमूल्य सहयोग होगा कि यदि आपको कोई शब्द विशेष नहीं मिले अथवा उनके अर्थ गलत मिलें या अनैक अर्थ आपस मे जुड़े हुए मिलें तो कृपया admin@charans.org पर ईमेल द्वारा सूचित करें। हार्दिक आभार।






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