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बगर
शब्दभेद/रूपभेद
व्युत्पत्ति
शब्दार्थ एवं प्रयोग
सं.पु.
देशज
1.फलांकुर।
उदा.--
सुकर सेलां धजर पाड़तौ घणा सत्र, अभंग चाचर अंबर जाय अड़ियौ। 'अभा' रौ मधुप जिम सारां अगर, पौहप धरां
बगर
तूट पड़ियौ।--चांदसिंघ रौ गीत
2.देखो 'बगड़'(रू.भे.)
3.देखो 'बगैर'(रू.भे.)
उदा.--
खाधां रोट ऊपजै खूबी, खाधां
बगर
बड़ौ ई खोट। लोट बिना सेवा नह लाजम, लाजम सेवा पांमियां लोट।--खूमांणदांन खिड़ियौ
नोट:
पद्मश्री डॉ. सीताराम लालस संकलित वृहत राजस्थानी सबदकोश मे आपका स्वागत है। सागर-मंथन जैसे इस विशाल कार्य मे कंप्युटर द्वारा ऑटोमैशन के फलस्वरूप आई गलतियों को सुधारने के क्रम मे आपका अमूल्य सहयोग होगा कि यदि आपको कोई शब्द विशेष नहीं मिले अथवा उनके अर्थ गलत मिलें या अनैक अर्थ आपस मे जुड़े हुए मिलें तो कृपया admin@charans.org पर ईमेल द्वारा सूचित करें। हार्दिक आभार।
राजस्थानी भाषा, व्याकरण एवं इतिहास
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