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बड  
शब्दभेद/रूपभेद
व्युत्पत्ति
शब्दार्थ एवं प्रयोग
1.देखो 'बडौ' (मह., रू.भे.)
  • उदा.--1..गळियां में गोता खावत खोता, बोता मार बहैदा है। हित में बड हांणीं जो नित जांणी, चित में नार चहंदा है।--ऊ.का.
  • उदा.--2..आज उमाहउ मौ घणउ, ना जांणूं किव केण। पुरुख परायउ वीर बड, अहर फुरक्कइ केण।--ढो.मा.
2.देखो 'वट' (रू.भे.)
  • उदा.--प्रथम जळ--जळाकार हुतौ। तिहां निरंजन निराकार बड--पात मांहि पौढ़िया हुता।--द.वि.


नोट: पद्मश्री डॉ. सीताराम लालस संकलित वृहत राजस्थानी सबदकोश मे आपका स्वागत है। सागर-मंथन जैसे इस विशाल कार्य मे कंप्युटर द्वारा ऑटोमैशन के फलस्वरूप आई गलतियों को सुधारने के क्रम मे आपका अमूल्य सहयोग होगा कि यदि आपको कोई शब्द विशेष नहीं मिले अथवा उनके अर्थ गलत मिलें या अनैक अर्थ आपस मे जुड़े हुए मिलें तो कृपया admin@charans.org पर ईमेल द्वारा सूचित करें। हार्दिक आभार।






राजस्थानी भाषा, व्याकरण एवं इतिहास

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