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बनी  
शब्दभेद/रूपभेद
व्युत्पत्ति
शब्दार्थ एवं प्रयोग
1.देखो 'वंन' (अल्पा., रू.भे.)
  • उदा.--अर भील नै खबर हुई। म्होकमसिंघ इण बंनी मै आदमी दोय सूं आयौ छै। सो और तो कांम कोय दीसै नहीं मोनै ही मारण नुं ध्यायौ छै।--प्रतापसिंघ म्होकमसिंघ री वात
2.देखो 'बनी' (रू.भे.)

बनी  
शब्दभेद/रूपभेद
व्युत्पत्ति
शब्दार्थ एवं प्रयोग
सं.स्त्री.
1.दुल्हन।
  • उदा.--1..बनड़ा नूं सूंपै बनी, हतळेवै मिळ हाथ। सठ कर दै चुगली समै, रत्रवण चुगल मुख साथ।--बां.दा.
  • उदा.--2..बना हसती ल्याजो घुडला थे ल्याज्यौ जी मारूदेस का, बनी खोलोना अटारी सोभा सुण आयौ री तेरै बाप की। नहीं खुलै जी अटारी अखनकुंवारी बेटी बाप की।--लो.गी.
2.नववधू।
  • उदा.--बनी महलां में ओढ़ौ हे, नीरखांला थारौ धनसपुरी। बना ओढ़'र निकळी जी, आंगणियां में पड़ी।--लो.गी.
3.सरपंखा नामक पौधा।
4.देखो 'वनी' (रू.भे.)
रू.भे.
बंनी, बनि, बन्नी, बन्ही, वहन, वनी, वन्हि।
अल्पा.
बनड़ी, वनड़ी।


नोट: पद्मश्री डॉ. सीताराम लालस संकलित वृहत राजस्थानी सबदकोश मे आपका स्वागत है। सागर-मंथन जैसे इस विशाल कार्य मे कंप्युटर द्वारा ऑटोमैशन के फलस्वरूप आई गलतियों को सुधारने के क्रम मे आपका अमूल्य सहयोग होगा कि यदि आपको कोई शब्द विशेष नहीं मिले अथवा उनके अर्थ गलत मिलें या अनैक अर्थ आपस मे जुड़े हुए मिलें तो कृपया admin@charans.org पर ईमेल द्वारा सूचित करें। हार्दिक आभार।






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