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बयण, बयन  
शब्दभेद/रूपभेद
व्युत्पत्ति
शब्दार्थ एवं प्रयोग
देखो 'वचन' (रू.भे.)(डिं.को.)
  • उदा.--1..रिध--सिध दियण कोयला--रांणी, बाळा बीजमंत्र व्रहमांणी। बयण दियै मौ अविरझ वांणी, पुणूं क्रीत जिम सारंग पांणी।--ह.र.
  • उदा.--2..करण अखियात चढ़ियौ भलां काळमी, निवाहण बयण भुज बांधिया नेत। पंवारां सदन वरमाळ सूं पूजियौ, खळां किरमाळ सूं पूजियौ खेत।--बां.दा.
  • उदा.--3..संक मनावै सत्रुवां, असंक सदा रिण आप। बयण अटंका बोलणौ, वौ रावत परताप।--प्रतापसिंघ म्होकमसिंघ री वात


नोट: पद्मश्री डॉ. सीताराम लालस संकलित वृहत राजस्थानी सबदकोश मे आपका स्वागत है। सागर-मंथन जैसे इस विशाल कार्य मे कंप्युटर द्वारा ऑटोमैशन के फलस्वरूप आई गलतियों को सुधारने के क्रम मे आपका अमूल्य सहयोग होगा कि यदि आपको कोई शब्द विशेष नहीं मिले अथवा उनके अर्थ गलत मिलें या अनैक अर्थ आपस मे जुड़े हुए मिलें तो कृपया admin@charans.org पर ईमेल द्वारा सूचित करें। हार्दिक आभार।






राजस्थानी भाषा, व्याकरण एवं इतिहास

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