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बसु  
शब्दभेद/रूपभेद
व्युत्पत्ति
शब्दार्थ एवं प्रयोग
देखो 'वसु' (रू.भे.)(डिं.को.)
  • उदा.--1. बसु मांस कादम मचौ असत परवत बणै, रुधिर मिल सरतपत हुऔ रातौ। अजोध्यानाथ दसमाथ रावण अडग, महा बे ओर भाराथ मातौ।--र.रू.
  • उदा.--2..ऊगां सूर समौ ऊदावत, बढ़ै बसू छळ बोल विरोळ। चळुअळ अरी तणौं चीतौड़ा, चंद्रप्रहास रहै नित चोळ।--प्रथ्वीराज
  • उदा.--3..पण इण वास्तै उपाव ई कांई कर्‌यो जाय। आ तौ नगर कठियारा रै नबाब इस्टूखां रै जचएां--बसू है।--फुलवाड़ी
  • उदा.--4..भांणू कह्‌यौ--मरणा जीवणा तौ करम बसू है। लिखिया लेख नीं टळै। म्हैं तौ लाख ई बात उठै बसूंला।--फुलवाड़ी


नोट: पद्मश्री डॉ. सीताराम लालस संकलित वृहत राजस्थानी सबदकोश मे आपका स्वागत है। सागर-मंथन जैसे इस विशाल कार्य मे कंप्युटर द्वारा ऑटोमैशन के फलस्वरूप आई गलतियों को सुधारने के क्रम मे आपका अमूल्य सहयोग होगा कि यदि आपको कोई शब्द विशेष नहीं मिले अथवा उनके अर्थ गलत मिलें या अनैक अर्थ आपस मे जुड़े हुए मिलें तो कृपया admin@charans.org पर ईमेल द्वारा सूचित करें। हार्दिक आभार।






राजस्थानी भाषा, व्याकरण एवं इतिहास

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