सं.स्त्री.
सं.भगिनी, प्रा.बहिणी या वह+प्रापणे
1.सम्बन्ध विचार के अनुसार किसी व्यक्ति या प्राणी से सम्बन्धित वह स्त्री (लड़की) या मादा प्राणी जो उसी के याता--पिता की संतान हो, बहिन, भगिनी।
- उदा.--1..खट बहन प्रथम जनमी वीसेक, दिल थयौ दुचित वळ सुता देख। मन......पड़ी नह कुंटब माय, अवतरी जोगमाया जु आय।--रांमदांन लाळस
- उदा.--2..पछै सांगमरावजी कुंडळ ऊपर चढ़िया अनै कहायौ जु म्हांरौ वछेरौ देऔ। ताहरां विसनदास वछेरौ टीकै दीयौ। अर बीजी छोटी बहन हुंती सु सांगमरावजी नूं परणाई।--नैणसी
2.वह समवयस्क स्त्री जिसे बहन के समान मान लिया गया हो, सम्बोधित किया गया हो, धर्म की बहन।
- उदा.--तठै जोगी गरीबनाथ धूंधळीमल रौ चेलौ वडी कमाई रौ धणी छै। तिण आप लाखड़ी आसण मांडियौ। तिण आंबा 22 आसण री पाखती वाह्या। तिकै कितरै'क दिनै फळण लागा। सु.करन रै बैर दुहागण हुती, तिण सूं गरीबनाथ महर करता। बहन कहि बोलाई हुती।--नैणसी
रू.भे.
बइंन, बहण, बहणी, बहनि, बहनी, बहन्न, बहिण, बहिणि, बहिणी, बहिन, बहिनि, बहिनी, बिहन, बिहिन, बेंण, बेहन, बेहनि, बेहनी, बैंण, बैंन, बैन, बैहण, बैहन, बैहिन, भइण, भइणि, भइणी, भयणि, भयणी, भांण, भेन, भैण, भैंन, वइण, वइन, वहन, वहन्न, वहन्नि, वहिण, वहिणि, वहिन, वहिनी।
अल्पा.
बइंनडी, बइंनडी, बहनडली, बहनड़ी, बहिनड़ी, बहिनड़ीय, बेहनड़ी, बैनड़ली, बैनड़ी, वइहनंडी। महा.--बइंनड़, बइंनड, बहनड़, बहिनड़, बहिनर, बैनड़।
पर्याय.--जांमि, भगनी, सहोदरा, सुसा।