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बहनेवी, बहनोइ, बहनोई, बहनौइ  
शब्दभेद/रूपभेद
व्युत्पत्ति
शब्दार्थ एवं प्रयोग
सं.पु.
सं.भगिनीति:, प्रा.बहिणी--वइ
बहन का पति।
  • उदा.--1..आवौ बहनेवी अमुक, दनां घणां सूं दीठ। म्हांसू काय दीधा मगज, परणी पाछै पीठ।--कल्यांणसिंघ नगराजोत वाढेल री वात
  • उदा.--2..पाछलै पहर साळौ बहनोई दोनूं बेठ सारी बातां कीवी हंसिया खेलिया।--कुंवरसी सांखला री वारता
  • उदा.--3..तद बूबरना कही--जी हजरत सलांमत, मेरा बहनोई है।--जलाल बूबना री बात
  • उदा.--4..कांन्ह कंवर सौ वीरौ मांगां, राई सी भोजाई। सौ'दरा सी बहनड़ मांगां, सावळिया बहनोई।--लो.गी.
रू.भे.
बनेई, बहणोई, बहिनेवी, बेनोई, बेहनेई, बेहनोई, बैंनोई, बैनोई, बैहनेई, बैहनोई, बैहनोई।


नोट: पद्मश्री डॉ. सीताराम लालस संकलित वृहत राजस्थानी सबदकोश मे आपका स्वागत है। सागर-मंथन जैसे इस विशाल कार्य मे कंप्युटर द्वारा ऑटोमैशन के फलस्वरूप आई गलतियों को सुधारने के क्रम मे आपका अमूल्य सहयोग होगा कि यदि आपको कोई शब्द विशेष नहीं मिले अथवा उनके अर्थ गलत मिलें या अनैक अर्थ आपस मे जुड़े हुए मिलें तो कृपया admin@charans.org पर ईमेल द्वारा सूचित करें। हार्दिक आभार।






राजस्थानी भाषा, व्याकरण एवं इतिहास

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