HyperLink
वांछित शब्द लिख कर सर्च बटन क्लिक करें
 

बहुत  
शब्दभेद/रूपभेद
व्युत्पत्ति
शब्दार्थ एवं प्रयोग
वि.
सं.पुरभुत.प्रा.पहुत्त
1.जो गिनती में एक दो से ज्यादा हो, अनेक। (डिं.को.)
2.जोन मात्रा व परिमाण में अधिक हो, अतिशय, अत्यन्त, थोड़े का विपर्याय।
  • उदा.--बहुत दिलासा दाखतै, साह दिया सिरपाव। सिर पर हुकम चढ़ाय लौ, कीधौ प्रथम कहाव।--रा.रू.
  • मुहावरा--बहुत अच्छी=संतोषजनक, सराहनीय, स्वीकृती सूचक।
3.विपुल, प्रचुर, पयाप्ति, काफी।
4.विविध।
5.समूह। (अ.मा., ह.नां.मा.)
रू.भे.
बह, बहत, बहत्त, बहु, बहुत्त, बहुय, बहुवै, बहू, बहूत, बहूय, बहौत, बहौ, बहौत, बोत बोहत, बोहोत, बौहोत, ब्हौ, भोत भौत, वहौ, वहौत।


नोट: पद्मश्री डॉ. सीताराम लालस संकलित वृहत राजस्थानी सबदकोश मे आपका स्वागत है। सागर-मंथन जैसे इस विशाल कार्य मे कंप्युटर द्वारा ऑटोमैशन के फलस्वरूप आई गलतियों को सुधारने के क्रम मे आपका अमूल्य सहयोग होगा कि यदि आपको कोई शब्द विशेष नहीं मिले अथवा उनके अर्थ गलत मिलें या अनैक अर्थ आपस मे जुड़े हुए मिलें तो कृपया admin@charans.org पर ईमेल द्वारा सूचित करें। हार्दिक आभार।






राजस्थानी भाषा, व्याकरण एवं इतिहास

Project | About Us | Contact Us | Feedback | Donate | संक्षेपाक्षर सूची