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बहू  
शब्दभेद/रूपभेद
व्युत्पत्ति
शब्दार्थ एवं प्रयोग
सं.स्त्री.
सं.वधू
1.धर्म--पत्नी, जोरू।
  • उदा.--तद मोजड़ी राजा उवा देखनै ढंढ़ोरौ फेरीयौ कहीयौ इयै मोजड़ी री जोड़ी पैदास करौ तौ जेनुं आधौ राज अर बेटी परणाऊं। तद औ ढंढ़ोरौ राजा रै रनवास हंतौ नाई, तै री बहु सुणीयौ। तद नाई नुं कहीयौ जु राजा कहै तो आ मोजड़ी कासूं छै इमै यो जोड़ी रै पै'रणहार नुं पैदास करूं।--चौबोली
2.स्त्री, औरत, त्रिया, नारी।
3.पुत्रकी पत्नी, पतोहू।
  • उदा.--1..विणजै सासू अर बहू धंधै ततपर धूत। ठग नंह जो गणिका ठगै, वणियांणी रा पूत।--बां.दा.
  • उदा.--2..नणदळ बाई सा रै उणिहार वाळा जो, थे तौ बहू भोळा धणा हो, म्हांरा बहूजी ऐ लौ। औ तौ थांरौ ही भरतार वाला जो।--लो.गी.
4.अपने से छोटे सम्बन्धि की स्त्री, नाते में छोटे की स्त्री।
  • उदा.--बहूआं नै आई कहै, माहरौ वचन ज मांनौ रे। थे समझावौ जायनै, जो क्यूं ही नेह पीछांणौ रे।--प.च.चौ.
5.नव वधू, नई--नवेली स्त्री।
  • उदा.--बहूवां नै दीजौ डीकरा ए, धीयड़ियां रौ अमर अहवात। 'जीवरामजी' नै तूठै घण हेत सूं ए, 'किसोरजी' रै खेड़ै जीत राख।--लो.गी.
6.धामिक बुद्धि सुबुद्धि। (रहस्य सम्प्रदाय) (सं.बहु)
7.समूह। (अ.मा.)
रू.भे.
बउ, बऊ, बहु, भउ, भहू, वउ, वऊ, वहव, वहु, वह, वव्ह।
अल्पा.
बउड़ी, बऊडी, बवड़िया, बवड़ी, बहुड़ि, बहुरि, बहुरी, बाहुड़ि, बाहुड़ी, बुआरी, बुवारी, बुहारड़ी, बुहारि, बुहारी, बहुअड़ी, वहुआरी। मह.--बहुवड़, बहुअड़, बहुअर, बहुआंण, बहुवड़, वहुअड़, वहुअर, वहुवड़, वहुवर, वहुअर। वि.--
1.दोनों।
2.देखो 'बहुत' (रू.भे.)
  • उदा.--अणीआलां ऊंचां असह, लोचन वली विसाल। बहू अंतरि अलगी भमुहि, चंद्र तपइ तिणि भालि।--मा.कां.प्र.


नोट: पद्मश्री डॉ. सीताराम लालस संकलित वृहत राजस्थानी सबदकोश मे आपका स्वागत है। सागर-मंथन जैसे इस विशाल कार्य मे कंप्युटर द्वारा ऑटोमैशन के फलस्वरूप आई गलतियों को सुधारने के क्रम मे आपका अमूल्य सहयोग होगा कि यदि आपको कोई शब्द विशेष नहीं मिले अथवा उनके अर्थ गलत मिलें या अनैक अर्थ आपस मे जुड़े हुए मिलें तो कृपया admin@charans.org पर ईमेल द्वारा सूचित करें। हार्दिक आभार।






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