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बांग  
शब्दभेद/रूपभेद
व्युत्पत्ति
शब्दार्थ एवं प्रयोग
सं.स्त्री.
फा.
1.जोर से पुकारने की क्रिया या भाव।
2.आवाज, ध्वनि, स्वर, नाद, श्ब्द।
3.मुर्गा के बोलने की आवाज, मुर्गे का शब्द।
  • उदा.--कूकड़ौ उडतौ--उडतौ भैंस रै पै'ला ई घरै पूगगौ। फिळा माथै बैठ्‌योड़ौ जोर सूं बांग दी।--फुलवाड़ी
4.मस्जिदों में मुल्लाओं द्वारानमाज के लिमे दी जाने वाली जोर की आवाज, अजान।
  • उदा.--संध्योपासन तजि बांग साज, निस दिवस वुजू रोजा निवाज। सामरत्थ सिंह हम नहिं रत्रगाळ। गौ मांस नांम पै देत गाळ।--ऊ.का.
5.कुटुम्ब में मूत्यु होने पर मृत व्यक्ति के सम्बन्धी द्वारा प्रथम वार जोर से द्वारा पर रुदन करने की क्रिया।
6.जोर से रोने व हाय--तोबा करने की आवाज, चिल्लाहट।
  • उदा.--औरां रा कर औरठे, पड़ियां, पाड़ै बां। जीव पखै ऊभा जठै, सखी धणी री सांग।--वी.स.
रू.भे.
वांन।
क्रि.प्र.--दैणी, घरणी, मेलणी।
क्रि.प्र.--दैणी, धरणी, मेलणी।


नोट: पद्मश्री डॉ. सीताराम लालस संकलित वृहत राजस्थानी सबदकोश मे आपका स्वागत है। सागर-मंथन जैसे इस विशाल कार्य मे कंप्युटर द्वारा ऑटोमैशन के फलस्वरूप आई गलतियों को सुधारने के क्रम मे आपका अमूल्य सहयोग होगा कि यदि आपको कोई शब्द विशेष नहीं मिले अथवा उनके अर्थ गलत मिलें या अनैक अर्थ आपस मे जुड़े हुए मिलें तो कृपया admin@charans.org पर ईमेल द्वारा सूचित करें। हार्दिक आभार।






राजस्थानी भाषा, व्याकरण एवं इतिहास

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