सं.पु.
1.बड़े--बूढ़ों के लिए आदर--सूचक एवं समवयस्क व लड़कों के लिये स्नेह--सूचक सम्बोधन। ज्यूं.--बैठ नीं
बाब, जाइजै परौ।
- उदा.--1..म्होकम भाई मुनौ हेट हेट करै थांहरी रजपूती री अधि काई। सो एक सू एक सवाई। पण बाबा थोड़ा धीरा रह्या करौ। म्हारै हुकम अर म्है जिण बात में चैन पांवा जिकौ मन मांहै धार्या करौ।--प्रतापसिंघ म्होकमसिंघ री वात
- उदा.--2..तीतरा री बात सुण नै राजकंवर की आंख्यां जळ--जळी व्हैगी। वौ गळगळा कंठ सूं कह्यौ--छोड दै बाबा इण तीतर नै छोड दै।--फुलवाड़ी
- उदा.--3..तद वीरमजी कही, बाबा इण में तौ वनै बधारण वाळी बात कोई नहीं।--ठाकुर जैतसी री वारता
- उदा.--4..भेख बिगाड़ै जगत नै, जगत बिगाड़ै भेख। औ लै बाबा अमलड़ौ, दुनियां में सुख देख, दुनियां में सुख देख तार आवैला तीखी। सतगुरु को परसाद, सधामद घूंट न सीखी। सोफी सबद सूणाय, चोर रंग देत चिगाड़ै। बैरागी नै जगत, जगत नै भेख बिगाड़ै।--ऊ.का.
- उदा.--5..तांहरां सरप बिल मांहै सूं नीसरनै चूंडै रै माथै छत्र कर बैठौ। तिमरै चारण गयौ। देखै तौ चूंडैरै माथै ऊपर छत्र करनै सरप बैठौ छै। ज्यूं मिनख री किड़वा हुई त्यूं सरप सिळकनै रूंख मांहै पेस गयौ। तांहरां चारण नजीक जायनै चूंडै नूं जगायौ। कह्यौ--बाबा! त्युं क्यु आयौ जंगळ में? घरै चाल। ताहरां घरै लै आयौ।--नैणसी
2.साधु--संन्यासी के लिय प्रयुक्त सम्बोधनवाचक शब्द।