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बालम  
शब्दभेद/रूपभेद
व्युत्पत्ति
शब्दार्थ एवं प्रयोग
सं.पु.
सं.वल्लभ:
1.किसी स्त्री का पति, स्वामी।
  • उदा.--1..बाल्ही धन बालम मीठी मुख बोंली। घड़ियां अम्रत री घुळती धणमोली। उण पुळ अमरापुर कापुर उर आयौ। मुरधर मंडळ तळ महिमंडळ मायौ।--ऊ.का.
  • उदा.--2..उतरळ बेरी आहणै, बिरचै बयण निबाह। होदां ऊपर हंस गौ, वारी बालम वांह।--वी.स.
  • उदा.--3..काळ न आवै कायरां, बालम बिसवा बीस। पकड़ै रण घर पंथ नूं, पकड़ै नंह पांडीस।--बां.दा.
2.प्रिय व्यक्ति, प्रेमी।
  • उदा.--1..बालम थे तौ भूलगा, काचौ नेह लगाय। सो सांचौ म्हारै हिसयै, तन मन लीन्हौ छाय।--अज्ञात
  • उदा.--2..बोल बोल हिवड़ा रा जिवड़ा, कोई थारी मरजी रे? बालम मूंडै बोल। सुंदर रूप अनुपम जोबन, सो बन किण विध आया रे। भोग भोगबा जोग, जोग किम लीनौ काया रे, बालम मूंडै बोल।--गी.रां.
3.जार।
4.गधा। (व्यंग) वि.(सं.वल्लभ)
1.सवो्रपरि, प्रधान।
2.प्यारा। देखो 'वालमकाकड़ी'।
रू.भे.
बलम, बाल्हम वलम, वालम, वाल्हम,
अल्पा.
बालमियौ, बालमीयौ, बसलमौ, बाल्हमौ, वालमियौ, वाल्हमौ।


नोट: पद्मश्री डॉ. सीताराम लालस संकलित वृहत राजस्थानी सबदकोश मे आपका स्वागत है। सागर-मंथन जैसे इस विशाल कार्य मे कंप्युटर द्वारा ऑटोमैशन के फलस्वरूप आई गलतियों को सुधारने के क्रम मे आपका अमूल्य सहयोग होगा कि यदि आपको कोई शब्द विशेष नहीं मिले अथवा उनके अर्थ गलत मिलें या अनैक अर्थ आपस मे जुड़े हुए मिलें तो कृपया admin@charans.org पर ईमेल द्वारा सूचित करें। हार्दिक आभार।






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