सं.पु.
1.एक अनुसूचित जन.जाति जो प्राचीन काल में चोरी; डकैती व ठगाई का कार्य करती थी।
- उदा.--मैणौ पेणू मेर, बावरी बिलळाड़ा बैता। भाळौ थोरी भील, रात रा मांगै रैता।--ऊ.का.
विशेष विवरण:-इनका निकास राजपूतों से माना जाता है। बीकानेर इलाका, पेजाब और हरियाना में 'बावरिया' और बाबरी दो पृथक पृथक कौमें हैं। बावरिया खानाबदोश होते हैं जो जंगलों में रहते हैं तथा शिकार करते है। बावरी गांवों में आबाद हैं और कृषिकर्म करते है।