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बाहु, बाहुअ  
शब्दभेद/रूपभेद
व्युत्पत्ति
शब्दार्थ एवं प्रयोग
सं.पु.
सं.बाहु
1.भुजा, बांह।
  • उदा.--कटै कडियाळ वहै करमाळ। कुटक्कै कोपर कंध कपाळ। बगत्त्र जोध हुवंति बिसुद्ध। जुटंत बाहुअ जुद्ध।--गु.रू.बं.
2.हाथ, कलाई।
3.पशु के अगले पैर के ऊपर का हिस्सा।
रू.भे.
बाहूं, बाहू, वाहू।
अल्पा.
बाउड़ी, बाउड़ौ, बाहुड़ि, बाहुड़ी, बाहुड़ौ, बाहूड़ौ। मह.--बाहुड़।
4.इक्ष्वाकंवुशीय एक राजा, जो सगर का पिता एवं राजा वृक का पुत्र था। इसे 'असित' और 'यादवी' भी कहते है।
  • उदा.--सुत रुरुक हुवौ व्रक पोह सधीर। व्रक सुतण बाहु वीराधि वीर। सुत बाहु सगर परगट संसार। असमंज सगर सुत त्रप उदार।
5.पाण्डवों द्वारा युद्ध में निमंत्रित एक शक्ति शाली राजा।
6.सुंदर वेग--वंश का एक 'कुलपांसन' राजा जिसने अपने कुल का नाश कारया।
7.पृथु राजा के पु' का नाम।
8.इन्द्रसावणि मनवन्तर के सप्त ऋषियों में से एक।
9.स्वारोचिष--मनु का एक नाम।
10.वीस विहरमांनों से तृतीय विहर मान। (जैन)
  • उदा.--तिम हिज नवमी वच्छ विजय वलि पूरव विदेह। नयर सुसीमा त्रीजौ बाहु नमुं धरि नेह। नलिनावरत च, वीसमी पछिम विदेह वखांण। वीतसोका नयरी तिहां चौथौ सुबाहु सुजांण।--ध.व.ग्रं.


नोट: पद्मश्री डॉ. सीताराम लालस संकलित वृहत राजस्थानी सबदकोश मे आपका स्वागत है। सागर-मंथन जैसे इस विशाल कार्य मे कंप्युटर द्वारा ऑटोमैशन के फलस्वरूप आई गलतियों को सुधारने के क्रम मे आपका अमूल्य सहयोग होगा कि यदि आपको कोई शब्द विशेष नहीं मिले अथवा उनके अर्थ गलत मिलें या अनैक अर्थ आपस मे जुड़े हुए मिलें तो कृपया admin@charans.org पर ईमेल द्वारा सूचित करें। हार्दिक आभार।






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