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बिदर     (स्त्रीलिंग--बिदरांणी, बिदरी)  
शब्दभेद/रूपभेद
व्युत्पत्ति
शब्दार्थ एवं प्रयोग
सं.स्त्री.
1.तांबे और जस्त के संयोग से बनी एक धातु।
2.देखो 'विदुर' (रू.भे.)
  • उदा.--1..लांणत लूंण हरांम, 'जसवंत' में कीधी जका। कुळ बिदरां रौ कांम, साबत तो में 'सादला'।--दळजी महडू
  • उदा.--2..ऊंबां जळ बळ कायरां, बिदरां कुळ बिवहार। नहीं दबां निरधूमतां, ज्यूं अदवां उपगार।--बां.दा.
3.देखो 'विदरभ' (रू.भे.)
(स्त्री.बिदरांणी, बिदरी)


नोट: पद्मश्री डॉ. सीताराम लालस संकलित वृहत राजस्थानी सबदकोश मे आपका स्वागत है। सागर-मंथन जैसे इस विशाल कार्य मे कंप्युटर द्वारा ऑटोमैशन के फलस्वरूप आई गलतियों को सुधारने के क्रम मे आपका अमूल्य सहयोग होगा कि यदि आपको कोई शब्द विशेष नहीं मिले अथवा उनके अर्थ गलत मिलें या अनैक अर्थ आपस मे जुड़े हुए मिलें तो कृपया admin@charans.org पर ईमेल द्वारा सूचित करें। हार्दिक आभार।






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