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बिरद  
शब्दभेद/रूपभेद
व्युत्पत्ति
शब्दार्थ एवं प्रयोग
देखो 'विरुद' (रू.भे.)
  • उदा.--1..उकतां सुकवि बोलै ऊंच बिरदां आवळी। राजस भडां गहमह रूंस पूरण नितरळीं।--बां.दा.
  • उदा.--2..बिरद अफेर धारियां बंकां, जाडा थडां बजाड़ै झाट। मरणा नै (मै) समझे मेड़तिया, घिरणा रौ समझे नहि घाट।--मेड़तिया राठौड़ां राधै गीत
  • उदा.--3..भजन करणौ जीहा भूपां पती रघु भूप रौ। बिरद धरणौ बंका रे कौट भांण सरूप रौ।--र.ज.प्र.


नोट: पद्मश्री डॉ. सीताराम लालस संकलित वृहत राजस्थानी सबदकोश मे आपका स्वागत है। सागर-मंथन जैसे इस विशाल कार्य मे कंप्युटर द्वारा ऑटोमैशन के फलस्वरूप आई गलतियों को सुधारने के क्रम मे आपका अमूल्य सहयोग होगा कि यदि आपको कोई शब्द विशेष नहीं मिले अथवा उनके अर्थ गलत मिलें या अनैक अर्थ आपस मे जुड़े हुए मिलें तो कृपया admin@charans.org पर ईमेल द्वारा सूचित करें। हार्दिक आभार।






राजस्थानी भाषा, व्याकरण एवं इतिहास

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