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बिलकुल  
शब्दभेद/रूपभेद
व्युत्पत्ति
शब्दार्थ एवं प्रयोग
वि.
अ.
1.संपूर्ण, सब कुल।
  • उदा.--बिलकुल बिसारि बैदिक बिधांन, कबहूं पढ़ि हैं नाहिं हम कुरांन। कटि सिखा सूत्र सुन्नत कराय, जावैं न मदीनै प्रांन जाय।--ऊ.का.
2.निरा, नितान्त। क्रि.वि.--
1.निश्चय ही।
  • उदा.--तैं मुख कमळ सुदांमा तंदुळ, पाया बिलकुल भरे पुसी। बिदुरतणी भगती हित बाधा, खाधा केळा छौत खुसी।--र.ज.प्र.
2.हर प्रकार से, सब तरह से, सर्वंथा।
  • उदा.--क्यूं पड़पंच करै जिव कूड़ा, बिलकुल मन में धार बिमेक। करता जो बाधी लिख दीन्ही, आधी करणहार न एक।--भीखजी रतनू
3.पूर्णतौर पर।
रू.भे.
बिल्कुल, विलकुल, विल्कुल।


नोट: पद्मश्री डॉ. सीताराम लालस संकलित वृहत राजस्थानी सबदकोश मे आपका स्वागत है। सागर-मंथन जैसे इस विशाल कार्य मे कंप्युटर द्वारा ऑटोमैशन के फलस्वरूप आई गलतियों को सुधारने के क्रम मे आपका अमूल्य सहयोग होगा कि यदि आपको कोई शब्द विशेष नहीं मिले अथवा उनके अर्थ गलत मिलें या अनैक अर्थ आपस मे जुड़े हुए मिलें तो कृपया admin@charans.org पर ईमेल द्वारा सूचित करें। हार्दिक आभार।






राजस्थानी भाषा, व्याकरण एवं इतिहास

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