सं.पु.
सं.विन्द:
1.जिसका विवाह सद्य होने को हो या हुआ हो, दुल्हा।
- उदा.--अर आप न हालौ तौ कन्या नूं तरुणी हुई जांणि चंद्रा-उतांरा पुरोहित रौ धरणौ दिवाइ मोनूं बींद रौ बेस कराइ साहस थी आंणियौ तौ भी दिल्ली रा दूत दसोर पूगा जांणि पाछौ ही पलाईजै।--वं.भा.
- उदा.--2..बोली-घरटी फेरण री कोई मेहणी थोड़ी ई लागै, नवीं बींदणीं नै ई फेरणी पड़ै।--फुलवाड़ी
2.पति, खाविंद।
- उदा.--1..दिन रा बातां बस कियौ, रात पड़्यां सूं नींद, रांम भजन कैंसै करै, दोय बहू रौ बींद। दोय बहू रौ बींद पकड़ बैठी है गाढ़ी, धणी बूझसी ज्वाब, जदै ऐ फिरै न आडी।--सगरांमदास
- उदा.--2..अच्छरां बींद बणिया अछा, भड़ां तिलक अणियां-भमर। जमहूंत समर मांडै जिका, 'कमरा' पर बांधी कमर।--मे.म.
3.प्रमुख कार्य-कर्ता, अगुआ।
- उदा.--सातूं ही सांमत खासवाड़ा नूं तोड़ि गजां रा गोळ में जावता जकिया। अर और भी सीसोदिया राउत जगरूप जिसा के ही अछूती अणी रा बींद उठै ह पूगतां पड़िया लोह छकिया। बीजां रा बरुथ मैं जिकां रा संबंधी जांणियां तिकै तौ दिल्ली रा दळ रा घायल जावता रहिया।--वं.भा.
रू.भे.
बींन, बींदव, बीन विंद, वींद।